हमारे रोज़ाना के खाने में रोटी और चावल दोनों ही अहम स्थान रखते हैं। भारत की अधिकतर जनसंख्या रोटी और चावल को मुख्य भोजन के रूप में अपनाती है। कई बार लोगों के मन में यह सवाल आता है कि “एक रोटी कितने चावल के बराबर होती है?” इसका जवाब समझने के लिए हमें रोटी और चावल की पोषण मात्रा, कैलोरी और ऊर्जा में अंतर जानना ज़रूरी है।
रोटी गेहूं का आटा गूँथकर बनाई जाती है और इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और प्रोटीन होता है। दूसरी ओर चावल, खासकर सफेद चावल, अधिकतर कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं, लेकिन इसमें फाइबर और प्रोटीन कम होता है। सही तुलना के लिए हम यह देखते हैं कि यदि कोई व्यक्ति एक रोटी खाता है, तो वह चावल की कितनी मात्रा खाने पर बराबर ऊर्जा प्राप्त करेगा।
साधारण घरेलू हिसाब से, एक मध्यम आकार की गेहूं की रोटी में लगभग 70 से 80 कैलोरी होती है। वहीं, पके हुए सफेद चावल का एक छोटा कटोरा (लगभग 100 ग्राम) में करीब 120 कैलोरी होती है। इस तरह देखा जाए तो एक रोटी लगभग आधा कटोरा चावल के बराबर ऊर्जा देती है। हालांकि यह आंकड़े गेहूं की गुणवत्ता, चावल के प्रकार और पकाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।
Roti vs Rice Portion
रोटी में मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगने देता। चावल खासकर सफेद चावल जल्दी पच जाते हैं, जिससे भूख जल्दी लग सकती है। यदि आप ब्राउन राइस खाते हैं, तो उसकी पोषण क्षमता रोटी के करीब आ जाती है क्योंकि उसमें भी फाइबर ज्यादा होता है।
रोटी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स चावल से थोड़ा कम होता है, जिसका मतलब है कि रोटी खाने पर रक्त में शर्करा की मात्रा धीमी गति से बढ़ती है। यह बात खासतौर पर डायबिटीज़ के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर चावल, खासकर सफेद चावल, जल्दी शर्करा स्तर बढ़ा सकते हैं।
यदि ऊर्जा की दृष्टि से देखा जाए, तो दो रोटियां खाने से जितनी कैलोरी मिलती है, उतनी कैलोरी के लिए आपको लगभग एक कटोरा चावल खाना होगा। लेकिन पोषण की दृष्टि से रोटी अधिक संतुलित आहार देती है।
सरकारी योजनाओं में रोटी और चावल का वितरण
भारत सरकार और राज्य सरकारें कई योजनाओं के माध्यम से गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को रोटी तथा चावल उपलब्ध कराती हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के अंतर्गत, राशन कार्ड धारकों को सस्ती दर पर गेहूं और चावल दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।
आम तौर पर, सरकार राशन में गेहूं और चावल दोनों देती है ताकि लोग अपनी पसंद और ज़रूरत के अनुसार भोजन बना सकें। ग्रामीण इलाकों में अधिकतर लोग गेहूं लेकर रोटी बनाते हैं, जबकि पूर्वी और दक्षिण भारत में चावल का उपयोग ज्यादा होता है। कुछ योजनाओं में विद्यालयों में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के तहत बच्चों को चावल आधारित भोजन दिया जाता है ताकि उनकी पोषण ज़रूरतें पूरी हों।
कोविड-19 महामारी के समय सरकार ने अतिरिक्त मुफ्त राशन योजना चलाई, जिसमें लोगों को अतिरिक्त मात्रा में गेहूं और चावल दिए गए। इससे गरीब परिवारों को बहुत राहत मिली। इन योजनाओं में यह ध्यान रखा जाता है कि दोनों प्रकार के अनाज उपलब्ध रहें ताकि लोग संतुलित आहार ले सकें।
सही विकल्प चुनना
रोटी और चावल दोनों ही अच्छे स्रोत हैं, लेकिन स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए इनका संतुलित उपयोग जरूरी है। यदि आपको वजन नियंत्रित रखना है या शर्करा स्तर पर ध्यान देना है, तो रोटी का सेवन अधिक फायदेमंद हो सकता है। वहीं जिन लोगों के लिए आसानी से पचने वाला खाना चाहिए, उनके लिए चावल सुविधाजनक विकल्प है।
पोषण विशेषज्ञ भी सलाह देते हैं कि यदि आप दिन में चावल खाते हैं, तो रात में रोटी लें या इसके विपरीत ताकि शरीर को दोनों प्रकार के पोषण तत्व मिल सकें।
निष्कर्ष
एक रोटी लगभग आधा कटोरा चावल के बराबर होती है, लेकिन पोषण और पाचन की दृष्टि से दोनों में अलग-अलग लाभ हैं। सरकार की योजनाओं से देश में रोटी और चावल दोनों ही सभी वर्गों को पहुंचाने का प्रयास किया जाता है। सही स्वास्थ्य के लिए दोनों का संतुलित उपयोग करना सबसे बेहतर है।